
राजनीति में अगर सस्पेंस, इमोशन और ड्रामा न हो, तो जनता क्यों देखे?
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) में इन दिनों ऐसा ही सस्पेंस चल रहा है, जैसे चुनावी पिच पर खेला होने वाला हो।
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आशीष पटेल को मिला पद, पर नाम नीचे!
जब आप किसी पार्टी में कार्यकारी अध्यक्ष से उपाध्यक्ष बना दिए जाएं, वो भी उस पार्टी की अध्यक्ष आपकी पत्नी हों — तो समझिए, मामला घर तक आ गया है!
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आशीष पटेल, जो पहले पार्टी के चेहरा और चाल दोनों थे, अब उपाध्यक्ष की सूची में दूसरे नंबर पर आ गए हैं।
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पहले नंबर पर हैं माता बदल तिवारी, जिन्होंने पार्टी में 2003 से सेवा दी है लेकिन अब तक टिकट नहीं पाया।
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पत्नी अनुप्रिया पटेल ने सियासी शतरंज पर प्यादों की जगह राजा को ही घोड़ा बना दिया है।
माता बदल तिवारी: ‘ब्राह्मण चेहरा’ या पॉलिटिकल डैमेज कंट्रोल?
UP के जौनपुर जिले से आते हैं, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़े हैं, पहले BJP में थे, फिर सोनेलाल पटेल के बुलावे पर अपना दल में आए। टिकट मांगते रहे, पर मिलता रहा वादा।
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2007 में टिकट कट गया
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2012 में माफिया मुन्ना बजरंगी को टिकट दे दिया गया
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2017 में लीना तिवारी को प्राथमिकता दी गई
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अब जाकर 2025 में उनका नाम आशीष पटेल से ऊपर चढ़ा
जैसे Netflix सीरीज़ में अंत में सबसे सीधा पात्र ही जीतता है, वैसे ही माता बदल को भी आखिरकार उनका पॉलिटिकल मोक्ष मिल गया।
क्या बीजेपी से नाराज़ है अपना दल? NDA में अंदरखाने खींचतान
अपना दल ने हाल में यूपी सरकार पर कई मुद्दों पर विरोध किया है —
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69 हज़ार शिक्षक भर्ती में आरक्षण को लेकर आंदोलन का समर्थन
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आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण की माँग
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योगी सरकार पर सार्वजनिक मंच से “अपना दल को बदनाम करने का आरोप” तक लगा दिया
यानी एनडीए की प्लेट में सब्ज़ी तो BJP ने बनाई थी, लेकिन नमक अपना दल का था, अब वो भी खट्टा लगने लगा है।
आशीष पटेल के तीर-तरकश: मीडिया, बजट और ‘घास’ का प्रहार!
आशीष पटेल का “घास थ्योरी पोस्ट” सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है —
“मैं घास हूं, मैं हर किए-धरे पर उग आऊंगा।”
उन्होंने मीडिया पर 1700 करोड़ के सूचना विभाग के बजट के दबाव में पार्टी को तोड़ने की साजिश का आरोप लगाया।
“रोज़ हमें 9 विधायक छोड़ते हैं, फिर 12 विधायक पाला बदलते हैं। एक दिन बता दो, सब चले जाएं — हम ‘घास’ हैं, हर ढेर पर उग आएंगे।”
बिलकुल वही तेवर जैसे संघर्षरत कवि के हाथ में मंत्रीपद की कलम आ जाए!
घर का मामला या 2024-25 की तैयारी?
सवाल उठते हैं:
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क्या अनुप्रिया और आशीष में सियासी दूरियाँ आ रही हैं?
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क्या यह BJP पर प्रेशर बनाने की रणनीति है?
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या फिर अपना दल में ‘जनरेशन शिफ्ट’ का ट्रेलर है?
बाहर से दिख रहा है कि अनुप्रिया ‘संघठन’ को कड़ा कर रही हैं और ‘भावनात्मक रिश्तों’ को फिलहाल स्थगित।
इतिहास गवाह है: अपना दल की कहानी हमेशा गुटबाजी से जुड़ी रही है
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2009 में सोनेलाल पटेल के निधन के बाद पार्टी दो हिस्सों में बंटी
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मां कृष्णा पटेल और बेटी अनुप्रिया में हुई ठनी
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अब लगता है नया अध्याय पति-पत्नी संस्करण का चल पड़ा है
सियासत की किताब में रिश्ते अक्सर हाशिए पर चले जाते हैं और पद पन्ने के ऊपर चढ़ जाते हैं।
सियासत में रिश्ते भी पोस्टिंग से तय होते हैं!
अपना दल (एस) का मौजूदा घटनाक्रम दिखाता है कि सियासत में कोई स्थायी पद नहीं होता — न रिश्तों का, न नेताओं का।
“डेमोशन” एक राजनीतिक शब्द नहीं, बल्कि पब्लिक सिग्नल होता है।
अनुप्रिया ने यह सिग्नल साफ-साफ भेजा है कि पार्टी अब एक ‘पर्सनल बायोग्राफी’ नहीं, बल्कि ‘पॉलिटिकल आर्गनाइजेशन’ है।
“अपना दल (एस) में चल रहा है सियासी सस्पेंस! अनुप्रिया पटेल ने पति आशीष पटेल को उपाध्यक्ष बनाया, वो भी माता बदल तिवारी के नीचे। जानिए क्यों!”
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